
अक्सर..
तेज बारिश के झोंको में
उम्मीद से छोटी
और
औक़ात से मामूली
छतरी के नीचे
उसे मजबूती से थामे
हमारा
भींगना......भींगते जाना
एक दूसरे की आँखों में
लगभग अपलक देखते हुए।
गुज़रे हुए सुखद क्षणों को
एक स्थिति
की तरह नहीं
मैं इसे
प्रतीक
की तरह
याद करना चाहता हूँ
ताकि दिख सके
हमारे भावी आदर्श जीवन की
सम्भावनाशील परिकल्पना....!