Sunday, June 14, 2009
आज आम आदमी की पहचान
दिन दूनी रात चौगुनी
तरक्की की लालसा में
आम आदमी
भीड़ में बिगड़ती, खोती पहचान
बचाने बनाने की लालसा में
आम आदमी
जीवन में हर घड़ी
सूअर की तरह मरता है
साथियों के अभाव में।
आम आदमी में
ज्ञान का अभाव नहीं
मूल्य भी अपार है
लेकिन इसका नपुंसक हो जाना ही
आज आम आदमी की पहचान है।
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1 comment:
अच्छी भावना है…लिखते रहिये…शुभकामनायें
आपको अनुमति की क्या ज़रूरत है भाई…
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