Sunday, June 28, 2009
वक्त बेवक्त
सूखी ही सही
दो रोटी और दो चुल्लू पानी के लिए
ये दोनों
भिगोये जाते हैं पसीने में
दिन भर,
और कठिनतम परिश्रमों में
गूंथकर
तपाये जाते हैं
तुच्छ स्वार्थियों की लोलुपता में.
रात की गहरी खमोशी
इनका बच्चा रोता है
पहले धीरे
फिर जोर से
फिर वह चिल्लाता है
जोर-जोर से,
लेकिन कुछ ही देर में
आवाज़ बन जाती है
घुटन
और वह सो जाता है
अंदर ही अंदर
घुटते-घुटते.
ये दोनों हैं सो रहे
अभी-भी
मौत की-सी नींद में.
सुबह उन्हें हैं फिर जन्म लेना
रात की अकल्पित पर
निर्णीत मौत के लिए!
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2 comments:
achchi bhavna hai bhai
dhanyawaad
http://popularindia.blogspot.com/
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