Tuesday, May 27, 2008

कितने दूर कितने पास









तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है
जैसे दिल में धड़कन
धड़कन में संगीत
संगीत में सुर-ताल और लय
लय में गति
गति में जीवन
जीवन में सपने
और सपनों में ख्वाहिशें....

और ख्वाहिशें
ऐसी/जैसे
ठोकरों में ज़िन्दगी गुज़ारते
बेघरों को घर की,
एक अदद दर की.
सच ही तो है
शमशेर के शब्दों में__
तुम आओ, तो खुद घर मेरा आ जाएगा.

ख्वाहिशें
जैसे
शुरू होकर तुम से
तुम्हीं पर खत्म हो जाती है
और तुम
मुझसे कितनी दूर
कितनी बेपरवाह (शायद)!

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4 comments:

आलोक said...

भास्कर जी, विभाव का अर्थ क्या होता है?

शोभा said...

बहुत सुन्दर। लिखते रहें।

Amit K Sagar said...

swagat hia aapka. bahut khub rachnaa..
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ultateer.blogspot.com

Prabhakar Pandey said...

सुंदरतम।

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