Saturday, April 18, 2009
नींद मेरी जीवन कथा में
नींद मेरी जीवन कथा में
एक ऐसी नायिका की तरह है
जो विवाह से पूर्व प्रेयसी की
भाव-भंगिमाओं में जगाती रही
विवाहोपरांत स्त्री की
अहं-भावी भृकुटि से
प्रतिशोध के परिणाम के तहत
सोने नहीं देती है।
मैं अपने कलम के साथ
उसी के सहारे गुफ्तगू कर रहा हूँ
रात के चार बजे
पर नींद नायिका का
अपनी कामयाबी में मस्त
सुनहरे ख्वाबों में कहीं सो रही है।
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